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पाकिस्तान की बातों पर कोई क्यों नहीं करता भरोसा, कैसे वह खुद ही सच उगल देता है; पेश है ये 3 उदाहरण

Pakistan Army Chief with Pakistani Prime Minister
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Pakistan Army Chief with Pakistani Prime Minister

नई दिल्ली: कश्मीर के पहलगाम में हुए क्रूर और बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत ने साफ संदेश दिया है कि वह इस तरह की कायराना हरकतों का कड़ाई से जवाब देगा। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी जिनमें अधिकतर पर्यटक थे। हमला होने के बाद से ही पाकिस्तान राग अलापने लगा था कि इसमें उसका कोई हाथ नहीं है। पाकिस्तान ने कहा था कि आतंकवादी हमले के लिए इस्लामाबाद को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। वैसे यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने भारत को अस्थिर करने के लिए इस तरह के कुकृत्य को अंजाम दिया है और खुद को पाक साफ बताते की कोशिश की है। चलिए आपको बताते हैं कि पाकिस्तान ने कब-कब अपना दोहरा चरित्र दिखाया है।

उदाहरण 1: कारगिल युद्ध

कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई 1999 से जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया था। कारगिल में पाकिस्तान की सेना और आतंकवादियों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी। पाकिस्तान का मकसद श्रीनगर-लेह मार्ग को काटना और कश्मीर घाटी को भारत से अलग करना था। भारत को जब यह पता चला कि दुश्मन कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा जमाए हुए है, तब ऑपरेशन विजय शुरू किया गया। भारतीय सेना ने दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। यह युद्ध लगभग दो महीने तक चला और 26 जुलाई 1999 को भारत ने अपनी जीत की घोषणा की। इस दिन को हर साल ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

पाकिस्तान करता रहा इनकार, खुली पोल

युद्ध के दौरान और उसके बाद पाकिस्तान ने लगातार यह दावा किया कि कारगिल में जो भी हो रहा है उससे उनकी सेना का कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन भारत के पास सबूत थे जैसे, मार्गदर्शक दस्तावेज, हथियार, पाकिस्तानी सैनिकों के शव और रेडियो बातचीत। बाद में कई अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट्स और पाकिस्तान के रिटायर्ड जनरलों की बातों से यह साफ हो गया कि कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप से शामिल थी। पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने ही अपने देश की पोल खोली है। एक बयान में मुनीर ने 1948, 1965, 1971 और कारगिल में पाकिस्तानी सेना की ‘बहादुरी’ को बताया था। मुनीर ने कहा था, “चाहे 1948 हो, 1965 हो, 1971 हो या 1999 का कारगिल युद्ध हो, हजारों शहादतों ने देश और राष्ट्र के लिए अपनी जान कुर्बान की है।”

कारगिल युद्ध

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कारगिल युद्ध

उदाहरण 2: मुंबई आतंकी हमला

मुंबई आतंकी हमला भारतीय इतिहास के सबसे भीषण और दर्दनाक आतंकवादी हमलों में से एक है। इस हमले ने ना सिर्फ देश को झकझोर दिया था। 26 नवंबर 2008 की शाम को पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में प्रवेश किया। ये सभी लश्कर के आतंकी थे। इन आतंकवादियों ने तीन दिनों तक मुंबई को बंधक बनाए रखा और कई प्रमुख स्थानों को निशाना बनाया, जिनमें छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन, ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, नरीमन हाउस (यहूदी केंद्र), और कैफे लियोपोल्ड शामिल थे। इस हमले में लगभग 166 निर्दोष लोगों की जान गई और 300 से अधिक लोग घायल हुए। भारतीय सुरक्षा बलों ने करीब 60 घंटों की लंबी लड़ाई के बाद 9 आतंकवादियों को मार गिराया और एकमात्र जीवित आतंकी अजमल कसाब को गिरफ्तार किया, जिसे बाद में अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाई गई।

पाकिस्तान की भूमिका और इंकार

भारत ने इस हमले के बाद सबूतों के साथ दावा किया इसमें पाकिस्तान का हाथ है। पकड़े गए आतंकी कसाब ने भी पाकिस्तान में ट्रेनिंग लेने की बात कबूली थी। भारत ने कॉल रिकॉर्ड्स, जीपीएस डेटा, हथियारों की जांच और कसाब के बयान जैसे मजबूत सबूत पाकिस्तान को सौंपे। लेकिन, पाकिस्तान ने शुरू में हमले में अपनी किसी भी भूमिका से साफ इनकार किया। उसने यह तक कहा कि कसाब पाकिस्तानी नागरिक नहीं है। हालांकि, बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तान को कसाब की नागरिकता को स्वीकार करना पड़ा और कुछ आतंकियों को पकड़ा भी गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई। डॉन न्यूज ने भी रिपोर्ट किया था कि “पाकिस्तानी अधिकारियों ने, मुंबई आतंकी हमले को लेकर अपनी जांच के दौरान, एकमात्र जीवित आतंकवादी, अजमल कसाब की पहचान एक पाकिस्तानी नागरिक के रूप में की है।”

मुंबई आतंकी हमला

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मुंबई आतंकी हमला

उदाहरण 3: पहलगाम आतंकी हमला

ताजा घटना की बात करें तो, पाकिस्तान ने पहलगाम में हुए आतंकी हमलों से खुद को अलग किया है। पाकिस्तान एक बार फिर डिनायल मोड में है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि, “पहलगाम आतंकी हमले से पाकिस्तान का कोई संबंध नहीं है।” भले ही पाकिस्तान एक बार फिर झूठ बोल रहा हो लेकिन हाल ही में सेना प्रमुख असीम मुनीर ने जो कहा था उसे झुठलाया नहीं जा सकता है। आसीम मुनीर ने 16 अप्रैल को कहा था कि कश्मीर पर हमारा (पाकिस्तानी सेना) और सरकार का रुख बिल्कुल स्पष्ट है। हम इसे नहीं भूलेंगे। मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताते हुए इस बात पर जोर दिया था हिंदू और मुसलमान पूरी तरह से अलग हैं। 16 अप्रैल को मुनीर ने इस तरह का बयान देते हैं और 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हो जाता है जिसमें हिंदुओं को टारगेट कर उनकी हत्या की जाती है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के पूर्व सैनिक आदिल रजा ने कहा है कि पहलगाम हमला पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने करवाया है। आदिल रजा ने कहा है कि पहलगाम में आतंकी हमले का आदेश पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने दिया था।

पहलगाम आतंकी हमला

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पहलगाम आतंकी हमला

आखिरकार, सच सामने आ ही गया 

अभी हमने आपको पाकिस्तान की हरकतों के उदाहरण दिए लेकिन इन सबसे इतर बड़ी बात तो पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कही है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्वीकार किया है कि उनका देश भारत के खिलाफ आतंकवादियों का समर्थन करता रहा है। 

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और स्काई न्यूज की यल्दा हकीम के बीच बातचीत हुई। यल्दा जब ख्वाजा से पूछती हैं, ‘क्या आप स्वीकार करते हैं कि पाकिस्तान का आतंकी संगठनों को समर्थन देने, ट्रेनिंग देने और फंडिंग का लंबा इतिहास रहा है?’ जवाब में आसिफ ने सनसनीखेज कबूलनामे में कहा, ‘हां, हम पिछले तीन दशकों से अमेरिका और पश्चिम, जिसमें ब्रिटेन भी शामिल है, के लिए यह गंदा काम करते आ रहे हैं।’

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