देश के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि उसने जालंधर स्थित इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस कैंसिल कर दिया है। केंद्रीय बैंक की तरफ से यह एक्शन इसलिए लिया गया क्योंकि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं। पीटीआई की खबर के मुताबिक, लिक्विडेशन (परिसमापन) पर, हर जमाकर्ता जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम यानी DICGC से 5 लाख रुपये तक की अपनी जमा राशि पर जमा बीमा दावा राशि हासिल करने का हकदार होगा। पंजाब सरकार के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से भी बैंक को बंद करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
97.79 प्रतिशत जमाकर्ता ले सकेंगे पूरी राशि
खबर के मुताबिक, बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, RBI ने कहा कि 97.79 प्रतिशत जमाकर्ता DICGC से अपनी जमा राशि की पूरी राशि पाने के हकदार हैं। यानी इतने प्रतिशत बैंक ग्राहक राशि निकाल सकेंगे। 31 जनवरी, 2025 तक DICGC ने कुल बीमित जमा राशि में से 5.41 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही कर दिया है। इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस कैंसिल करने के कारण बताते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंक का आगे काम करते रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के लिए हानिकारक है।
‘बैंकिंग’ का कारोबार करने से बैन
आरबीआई ने कहा कि अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति के चलते बैंक अपने जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने में असमर्थ होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर बैंक को आगे भी बैंकिंग कारोबार जारी रखने की अनुमति दी गई तो इससे जनहित पर विपरीत असर पड़ेगा।
लाइसेंस कैंसिल होने के परिणामस्वरूप, इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक को तत्काल प्रभाव से ‘बैंकिंग’ का कारोबार करने से बैन कर दिया गया है, जिसमें दूसरी चीजों के अलावा जमा स्वीकार करना और जमा का रीपेमेंट करना शामिल है। आरबीआई समय-समय पर इन बैंकों की समीक्षा करता है और खामी पाए जाने पर सख्त कदम उठाता है।
