
बाईपास सर्जरी और एंजियोप्लास्टी की जरूरत कब होती है
हार्ट की बीमारियों का नाम सुनते ही डर लगने लगता है। हार्ट में ब्लॉकेज होने पर डॉक्टर अलग अलग मेडिकल ट्रीटमेंट करते हैं। कुछ लोगों को सिर्फ दवा दी जाती है जिससे ब्लॉकेज दूर हो सकती है। कुछ मरीजों की एंजियोप्लास्टी की जाती है और फिर स्टेंट डाले जाते हैं और कुछ को बाईपास सर्जरी करवाने की सलाह दी जाती है। ये सारी चीजें सामान्य लोगों को डराती हैं। ऐसे में डॉक्टर से सामान्य भाषा में जानते हैं कि कब मरीज की बाईपास सर्जरी की जाती है और क्या सिर्फ एंजियोप्लास्टी से हार्ट को सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे हार्ट अटैक के खतरे को कितना कम किया जा सकता है?
हाल ही में हुए इंडिया टीवी स्पीड न्यूज़ वेलनेस वीकेंड कार्यक्रम में हमने डॉक्टर बलबीर सिंह (चेयरमैन, कार्डियक साइंस, मैक्स हॉस्पिटल) से बात की और जाना किन परिस्थितियों में डॉक्टर मरीज की बाईपास सर्जरी करते हैं और क्या एंजियोप्लास्टी से हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है।
कब होती है बाईपास सर्जरी की जरूरत?
डॉक्टर बलबीर सिंह का कहना है कि, ‘अगर मरीज को मल्टीपल ब्लॉकेज है। शरीर में 8-9 जगह पर ब्लॉकेज है बाईपास सर्जरी की जरूरत होती है, क्योंकि आप कहां कहां स्टेंट डालेंगे। या लॉन्ड डिफ्यूज्ड डिजीज है यानि बहुत पतली-पतली नसें हो गई हैं। सामान्यतौर पर डायबिटीज के मरीज में ऐसा होता है। या जो बहुत ज्यादा स्मोकिंग करते हैं उनमें ऐसा होता है। या साथ में मरीज को वाल्व की समस्या है मतलब हार्ट की ब्लॉकेजेज तो हैं ही साथ ही कोई वाल्व लीक कर रहा है और उसे भी रिपेयर करना है तब बाईपास सर्जरी मरीज को की जाती है’।
किन लोगों की बाईपास सर्जरी नहीं की जाती?
‘लेकिन दुनियाभर में बाईपास सर्जरी के नंबर कम हो रहे हैं क्योंकि एंजियोप्लास्टी की तकनीक बहुत इंप्रूव कर रही है। जिसकी वजह से 70 प्रतिशत केस में स्टेंट से ही काम चल जाता है। जिन लोगों की उम्र 80 के पार है उनकी भी हार्ट की सर्जरी नहीं की जाती है। ऐसे लोगों में स्टेंट डालकर ही काम चलाने की कोशिश की जाती है।
50-70 प्रतिशत हार्ट ब्लॉकेज होने पर क्या होता है?
अगर मरीज के शरीर में 50 से 70 प्रतिशत की ब्लॉकेज है कई बार लोग घबरा जाते हैं। लेकिन ये परेशान होने वाली कंडीशन नहीं है। आप इसे आसानी से ठीक कर सकते हैं। 70 प्रतिशत तक ब्लॉकेज होने पर कई बार स्टैंट डालने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे मरीज का एक टेस्ट किया जाता है जिसमें पता किया जाता है कि आर्टरीज के अंदर फ्लो कैसा जा रहा है। अगर फ्लो रिजर्व ठीक है तो जिसका पता FFR टेस्ट या अल्ट्रासाउंड से किया जाता है तो ऐसे मरीज को सिर्फ दवाओं से ठीक किया जा सकता है। इन्हें न तो एंजियोप्लास्टी की जरूरत होती है और नही सर्जरी की आवश्यकता होती है।
Disclaimer: (इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।)
