
सांकेतिक तस्वीर
भोपाल: दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना से आठ चीतों को दो चरणों में मध्य प्रदेश में लाया जाएगा। मई 2025 तक बोत्सवाना से चार चीतों को भारत लाने की योजना है। इसके बाद चार और चीतों को लाया जाएगा। प्रोजेक्ट चीता के तहत चीतों को अब गांधी सागर अभयारण्य में भी चरणबद्ध तरीके से स्थानांतरित किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को भोपाल में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति में चीता परियोजना की समीक्षा बैठक हुई। एनटीसीए अधिकारियों ने बताया कि अब तक देशभर में चीता परियोजना पर 112 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, जिसमें से 67 प्रतिशत व्यय मध्य प्रदेश में चीता पुनर्वास पर खर्च किया गया है।
चीतों को गांधी सागर अभयारण्य में लाया जाएगा
प्रोजेक्ट चीता के तहत राजस्थान की सीमा से सटे गांधी सागर अभयारण्य में चरणबद्ध तरीके से चीतों को बसाया जाएगा। अत: मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच अंतरराज्यीय चीता संरक्षण क्षेत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक सहमति बन गई है।
कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के बारे में जानकारी देते हुए वन अधिकारियों ने बताया कि वहां 26 चीते हैं, जिनमें से 16 खुले जंगल में और 10 पुनर्वास केंद्र (बाड़ों) में हैं। अधिकारी ने बताया कि चीतों पर निगरानी रखने के लिए सैटेलाइट कॉलर आईडी का उपयोग करके 24 घंटे ट्रैकिंग की जाती है।
चीतों की जा रही है निगरानी
अधिकारियों ने कहा कि चीतों की निगरानी के लिए ‘सैटेलाइट कॉलर आईडी’ का उपयोग करके 24 घंटे निगरानी की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि मादा चीता ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा ने शावकों को जन्म दिया है। इतना ही नहीं, केएनपी में पर्यटकों की संख्या दो साल में दोगुनी हो गई है। अधिकारियों के मुताबिक पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को 17 सितंबर, 2022 को केएनपी में छोड़ा गया था। उनके मुताबिक फरवरी 2023 में, 12 और चीतों को दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में स्थानांतरित किया गया। वर्तमान में, केएनपी में 26 चीते हैं, जिनमें भारत में जन्मे 14 शावक शामिल हैं।
इनपुट- पीटीआई
