
मुर्शिदाबाद में आगजनी
गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती जारी रखने के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा। कोर्ट ने प्रस्ताव दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के एक-एक सदस्य को मिलाकर एक तीन सदस्यीय समिति गठित की जाए, जो हिंसा से विस्थापित लोगों के पुनर्वास और शांति स्थापना की निगरानी के लिए प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करे। जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की खंडपीठ विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि मुस्लिम बहुल जिले में सांप्रदायिक दंगों के दौरान बम धमाके हुए थे।
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने नौ अधिकारियों की टीम बनाई है, जो पूरे घटनाक्रम की जांच करेगी। इस विशेष जांच टीम की अगुआई मुर्शिदाबाद के डीआईजी करेंगे। जांच टीम में सीआईडी, सीआईएफ, ट्रैफिक पुलिस, साइबर पुलिस और आईबी अधिकारियों को शामिल किया गया है।
वक्फ कानून में संसोधन के विरोध में हिंसा
पश्चिम बंगाल में 11-12 अप्रैल को नए वक्फ बोर्ड कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ उग्र हो गई। इसके बाद मुर्शिदाबाद में जमकर हिंसा हुई। कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। घरों के अंदर घुसकर तोड़फोड़ की गई। सुती, धुलियान और जंगीपुर सहित अन्य इलाकों में हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे। हिंसा के कारण बड़ी संख्या में लोग अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे।
बंगाल से भागकर झारखंड पहुंचे पीड़ित
मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद कई परिवार पलायन कर झारखंड में अपने रिश्तेदारों के यहां पहुंच गए। साहिबगंज और पाकुड़ में कई परिवारों ने शरण ली है। ऐसे ही एक परिवार के सदस्य हृदय दास ने बताया कि उनका परिवार जाफराबाद मार्केट में नाश्ते की दुकान चला कर भरण पोषण करता था। हिंसा के दौरान उनके चाचा हरि गोविंद दास और भाई की मौत हो गई। 12 अप्रैल की दोपहर करीब 500 उपद्रवियों ने घुसकर उसके चाचा व उनके पुत्र को दुकान से खींचकर धारदार हथियार से निर्मम तरीके से हत्या कर दी। उपद्रवियों ने बाजार की सारी दुकानें और आस-पास के मोहल्ले के करीब 70 से 80 घरों को अपना निशाना बनाया। महिलाओं के साथ बदतमीजी की। एक-एक परिवार ‘को घर से निकाल कर मारपीट की।
मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। पीने के लिए सप्लाई होने वाले पानी में जहर तक मिला दिया गया। उन्होंने बताया कि आसपास के जितने भी हिंदू बहुल गांव हैं। सभी जगह इसी तरह से तांडव हुआ है। उन लोगों ने ऐसी हिंसा पहले कभी नहीं देखी थी।
