
भूकंप की तबाही पर स्टडी में खुलासा
इन दिनों दुनिया भर में भूकंप की घटनाएं लगातार सुर्खियों में है। आये दिन कहीं न कहीं भूंकप के झटके महसूस हो रहे हैं। हाल ही में म्यांमार में हुए भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी और इसके बाद जापान में भूकंप की भविष्यवाणी की गई। अब, चीन में भी एक बड़े भूकंप की भविष्यवाणी की जा रही है, जिससे पूरी दुनिया में हड़कंप मच सकता है। चीन में आगामी भूकंप को लेकर जो चेतावनी दी जा रही है, वह एक गंभीर विषय बन चुकी है।
बीजिंग भूकंप एजेंसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक झू होंगबिन और उनकी टीम ने 150 वर्षों के भूकंपीय डेटा का विश्लेषण कर यह अनुमान लगाया है कि चीन के कुछ हिस्सों और हिमालय क्षेत्र में आने वाले समय में 8.0 रिक्टर स्केल पर भूकंप आ सकते हैं। यह अध्ययन 20 मार्च 2025 को Journal of Geodesy and Geodynamics में प्रकाशित हुआ था। इस शोध में 1879 से 2024 तक के 6 प्रमुख भूकंपीय सक्रिय अवधियों की पहचान की गई है।
भूकंप के झटकों का नया कारण?
वैज्ञानिकों ने भूकंप के कारणों के बारे में एक नया पहलू सामने रखा है। उन्होंने LOD (Length of Day) या पृथ्वी के घूर्णन के समय को जिम्मेदार ठहराया है। LOD वह समय है, जिसमें पृथ्वी अपनी धुरी पर एक पूरा चक्कर लगाती है। यह माना जाता था कि यह समय स्थिर रहता है, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह समय माइक्रोसेकंड स्तर पर घटता-बढ़ता रहता है और इसका असर पृथ्वी के अंदर के टेक्टोनिक प्लेट्स के तनाव पर पड़ सकता है। हर प्रमुख भूकंप अवधि पृथ्वी की रोटेशन स्पीड में बदलाव से जुड़ी हुई पाई गई है। इसका मतलब यह है कि जब LOD में बदलाव आता है, तो पृथ्वी के अंदर के तनाव बढ़ जाते हैं और इसके परिणामस्वरूप बड़े भूकंप आ सकते हैं।
इन क्षेत्रों में भूकंप के खतरे की घंटी
वैज्ञानिकों के मुताबिक, खासतौर पर तीन प्रमुख क्षेत्रों में भूकंप की चेतावनी दी गई है, जिनमें से पहला है सिचुआन प्रांत, जहां 2008 में एक विनाशकारी भूकंप आया था। दूसरा संवेदनशील क्षेत्र युन्नान है, जो भूकंप के मामले में सबसे ज्यादा जोखिम वाला है। अंत में हिमालय क्षेत्र आता है, जो भारत, नेपाल और भूटान के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लोंगमेंशन फॉल्ट पर दबाव बढ़ रहा है, जो 2008 में सिचुआन में आए भूकंप का कारण था। GPS डेटा से यह पता चला है कि भारत की उत्तर दिशा में लोंगमेंशन फॉल्ट पर दबाव बढ़ता जा रहा है। इससे पूर्वी हिमालयी संधि अस्थिर हो सकती है और भूकंप की संभावना बढ़ सकती है।
विनाशकारी भूकंप की चेतावनी
भारत में प्रभाव, क्या तैयार हैं हम?
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य जैसे- उत्तराखंड, नेपाल सीमा और अरुणाचल प्रदेश पहले ही भूकंपीय जोन 5 में आते हैं। यदि चीन और हिमालय क्षेत्र में बढ़ता हुआ तनाव भारत तक पहुंचता है, तो इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारतीय सरकार को अपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर और बिल्डिंग निर्माण के तरीकों को तत्काल अपडेट करना होगा। साथ ही, National Disaster Management Authority (NDMA) को अलर्ट मोड पर रहना होगा और भूकंप की भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन के लिए AI मॉडलिंग और डेटा एनालिटिक्स में निवेश बढ़ाना होगा।
क्या हम सुपर-साइज भूकंपीय चरण में प्रवेश कर रहे हैं?
कुछ भूगर्भ विशेषज्ञ मानते हैं कि पृथ्वी समय-समय पर एक Supercycle में प्रवेश करती है, जिसमें बड़ी संख्या में उच्च तीव्रता के भूकंप एक साथ आते हैं। उदाहरण के तौर पर 2004 में इंडोनेशिया में 9.1 तीव्रता का भूकंप, 2010 में हाइती में 7.0 तीव्रता का भूकंप और 2011 में जापान में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था।
अब चीन, म्यांमार, नेपाल और भारत में बढ़ती भूकंपीय गतिविधि इस संभावना की ओर इशारा कर रही है कि हम एक Super Seismic Phase में प्रवेश कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में, हमें और भी बड़े और तीव्र भूकंप का सामना करना पड़ सकता है, जिनका असर केवल इन देशों पर ही नहीं, बल्कि पूरे एशियाई क्षेत्र पर हो सकता है।
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